गणतत्र के 72 वर्ष




भारत केगणतत्र के 72 वर्ष

हमको है अभिमान देश का। 
जिसके पाँव पखारे सागर, 
गंगा भरे संवारे गागर, 
शोभित जिस पर स्वर्ग वही तो, 
शीश मुकट हिमवान देश का, 
हमको है अभिमान देश का।।1।। 



भारत के स्वाधीनता संघर्ष में अनेकों क्रांतिकारियों ने अपना सर्वस्व बलिदान किया देश के हर क्षेत्र के व्यक्ति ने भाग लिया, देश की स्वतंत्रता पश्चात इस स्वतंत्रता को बनाए रखने हेतु देश को  उच्चस्तरीय व्यवस्था की आवश्यकता महसूस हुई, भारत की व्यवस्था सदियों पुराने लोकतंत्र पद्धति की ही रही है। किंतु एक राष्ट्र निर्माण में आजादी के पश्चात की चुनौतियों का सामना करने के लिए नई व्यवस्थाओं की आवश्यकता थी, ऐसी व्यवस्था बनाना जिनमें सभी को न्याय मिले, देश वैभवशाली बनने के साथ ही सुरक्षा की दृष्टि से संपन्न बने, समाज में सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन मूल्यों एवं संस्कृतिक अभिव्यक्ति की रक्षा हो पूर्वजों के अमूल्य ज्ञान की रक्षा करते हुए हमें आधुनिक एवं संपन्न  बनना है। यह दिव्य भाव लेकर राष्ट्र निर्माण के लिए संविधान निर्माण की नींव रखी गई, यह संविधान अंग्रेजों द्वारा भारत सरकार अधिनियम को हटाकर लागू किया गया, हमारा संविधान दुनिया के किसी भी गणतांत्रिक राष्ट्रों की तुलना में सबसे बड़ा लिखित संविधान है जिसे पूरा होने में 2 वर्ष 11 महीने 18 घंटे लगे, जिसमे 114 दिन बहस हुई, कुल 12 अधिवेशन हुए तथा अंतिम दिन 284 सदस्यों ,के  इस पर हस्ताक्षर हुए संविधान बनने में 167 दिन  बैठक की गई
कैबिनेट मिशन की संस्तुतियों के आधार पर संविधान सभा का गठन हुआ, जुलाई 1946 में संविधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 389 तय की गई थी जिनमें 292 ब्रिटिश प्रांत के प्रतिनिधि चार चीफ कमिश्नर क्षेत्र के प्रतिनिधि एवं 93 देसी रियासतों के प्रतिनिधि थे चुनाव में कुल 390 सदस्यों में से प्रांतों के लिए 296 सदस्यों के चुनाव हुए इनमें कांग्रेस के 208, मुस्लिमलीग 73, एवं अन्य दलों के 15, व स्वतंत्र उम्मीदवार निर्वाचित हुए।
देसी रियासतों की जनसंख्या के अनुपात आधार पर प्रतिनिधित्व दिया गया था जिसमें 10 लाख की आबादी पर एक स्थान दिया गया था।
 भारतीय संविधान एकात्मता एवं संघात्मक गुणों  से परिपूर्ण है वहीं इसमें महिलाओं की भूमिका भी रही है भारत की पहली महिला ग्रेजुएट - कादंबरी गांगुली सदस्य थी
अनुसूचियां संविधान का एक भाग है जो किसी अनुच्छेद की व्याख्या को दर्शाती है अनुसूचित संसद की साधारण प्रक्रिया द्वारा बदली भी जाती है
अन्य सभी विशेषताओं के साथ 26 जनवरी 1950 को भारत में भारतीय निर्मित संविधान लागू किया गया । इसके पश्चात भारत ने अपने आजादी के 72 वर्ष व गणतंत्र के 70 वर्षों में विभिन्न उतार-चढ़ावो को दिखा जिसमें आपातकाल जो संविधान भाग 18 के अनुच्छेद 356 से 360 के अंतर्गत आता है इसका प्रयोग शासन करने हेतु किया गया था फिर आज के सबसे बड़े लोकतांत्रिक चुनाव व्यवस्था में पूर्ण बहुमत की सरकार का 2 बार लगातार चुना जाना हो, 370 का हटना हो, राम मंदिर पर फैसला आना हो, और सोहाद्र पूर्ण रूप से समाज का उसका पालन करना है ,कोरोना जैसी महामारी में भी कानून व्यवस्था को बनाए रखना यह हम भारतीयों की संविधान के प्रति आस्था को दर्शाता है। 
आज हम 72 वर्षों की यात्रा के पश्चात 21वीं सदी के भारत निर्माण की ओर बढ़ रहे हैं जो आत्मनिर्भर भारत, आतंकवाद मुक्तभारत,विश्व मार्गदर्शक भारत की एक भूमिका की ओर बढ़ते कदम है, किंतु हमारे समक्ष चुनौतियां भी कम नहीं है हम एक चुनौती जो कुछ दिन पूर्व ही विश्व के सबसे पुराने लोकतंत्र कहे जाने वाले अमेरिका की सत्ता परिवर्तन में नस्लीय  पक्षपात से हिंसा का होना हमारे यहां भी कुछ वामपंथी विचारो के माध्यम से वंचितवर्ग, किसान, बेरोजगारों, में देश के प्रति एक गलत धारणा बनाने का प्रयास करेंगे जो देश के लिए देश की गणतंत्र के लिए चुनौती होगा
 किंतु इस 72वी सालगिरह में नई चुनौतियों का सामना करते हुए हमें देश की एकता अखंडता सविधान सभा के सभी राष्ट्र भक्तों की दूर दृष्टि को प्रेरणा मानकर लगातार समाज हित में, देश हित में, एक भारत - श्रेष्ठ भारत के भावो से  प्रयास करना चाहिए।
राष्ट्रभक्ति ले हृदय में हो खड़ा यदि देश सारा।
संकटों पर मत कर युवा राष्ट्र विजयी हो हमारा।।

अमित पटले
राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य 
ABVP ( अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद)
अन्तिम वर्ष लॉ 
विद्यार्थी 
राष्ट् संत तुकोड़ोजी महाराज डॉ बाबा साहब अम्बेडकर लॉ कॉलेज नागपुर ( Rtmnu bacl) 

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